यह शायरी मेरे दादाजी स्व.सी.बी.मैथ्यूस 'आगा' द्वारा लिखित है | उनका जन्म सन १९१९ में हुआ था तथा उनकी मृत्यु २००९ में हुई| उन्होंने अपने जीवन में कई उम्दा शायरी लिखी|अपने जीवन के अंतिम वर्षो में वह अपनी कुछ शायरी हमें लिखवाया करते थे उनमे से कुछ ही आज मेरे पास मौजूद है| जो में आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ
देख इस बादाए सरमस्त जवानी को ना देख
दरियाए हुस्न की इस तेज रवानी को ना देख
देख उसी को जो है नूर-ए-हकीकी गाफिल
बढ के घट जायेगा इस बाढ के पानी को ना देख|
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