ईश्वर के बनाये नियमों को
तोड़ दिया इंसानों ने
दुनिया की मिलती राहों को
मोड़ दिया इंसानों ने |
राह एक थी मोड़ बन गए
देश कट गए,झंडे बंट गए
एक ईश्वर को कई धर्मों मैं
बाँट दिया इंसानों ने |
एक विश्व को बंटवारे का
कोढ़ दिया इंसानों ने |
आतंकवाद, भ्रष्टाचार का
रोग दिया इंसानों ने |
बदले की भावना पर
ज़ोर दिया इंसानों ने |
'आया नया जमाना'-कह कर
संस्कारों को छोड़ दिया इंसानों ने |
अब यह राह कहा ले जाएगी
इसका पता लगाना है
डूबेंगे या तर जायेंगे?
डूबे या तरे,सब 'वो' जानें
क्या ऐसा सोच लिया इंसानों ने?
ईश्वर के बनाये नियमों को
तोड़ दिया इंसानों ने
दुनिया की मिलती राहों को
मोड़ दिया इंसानों ने |
jaha na pahuche ravi vaha pahuche hamari neha kaviyetri.very good
जवाब देंहटाएंneha, bahut achi kavita hai.....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता है आपकी, मुझे भी कविताये लिखने का शोंक है... मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.... http://sparkindians.blogspot.com/
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