अपने मन की सब कहे, दुजे का ना ध्यान ।
अपने माथे जब पड़ी, तब मिल पाया ज्ञान ।।
आंगन में धूप उतरे, नया सवेरा लाय।
कर्मरत जो रहे सदा, वो ही अवसर पाय।।
सबको जिसकी खोज है, कहते जिसको ज्ञान।
योग्यता से ही मिलता, पाना ना आसान ।।
लेखक - नेहा मैथ्यूज
इस छोटी सी दुनिया में आपको मिलेंगी मेरी रचनाएं और कुछ अपनों के दिल से निकली बातें, यादें जिन्हें संजो कर रखना अच्छा लगता है.....
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