आती हर रोज सुबह
पर हमें है उस सुबह का इंतजार
जब सब देश एक होंगे
और बनेगा प्यारा संसार|
न होगी नफ़रत की दीवार
बस होगी खुशियों की बौछार
हमें है उस सुबह का इंतजार
जब सब देश एक होंगे
और बनेगा प्यारा संसार|
सब धर्मं एक हो जायेंगे
सब ईश्वर एक कहलायेंगे
न होगा आतंकवाद
न होगा कोई भेदभाव
न होगी कोई बुराई
हर तरफ होगी बस
अच्छाई और सच्चाई|
कब आएगी वह नई सुबह
जब सब देश एक होंगे
और बनेगा प्यारा संसार|
हमें है उस नई सुबह का इंतजार|
सुन्दर शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंआशावादी रचना,हम सबको एसी ही सुबह का इंतज़ार है.
जवाब देंहटाएं--mansoorali हाश्मी
http://aatm-manthan.com
बहुत सुन्दर और आशावादी रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंमज़हब होता ही बाँटने के लिए है। मानव एका सार्वभौमिक मानवीयता से ही सम्भव है। इसके लिए धर्म या ईश्वर आवश्यक नहीं हैं।
जवाब देंहटाएंsundar rachna ..... thanx
जवाब देंहटाएंकाश के ऐसा हो जाये.........अच्छा लिखा है आपने........शुभकामनाये|
जवाब देंहटाएंसच्ची और नेक कामना
जवाब देंहटाएंशानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं-लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
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