10/20/2010

नई सुबह

आती हर रोज सुबह
पर हमें है उस सुबह का इंतजार
जब सब देश एक होंगे
और बनेगा प्यारा संसार|
न होगी नफ़रत की दीवार 
बस होगी खुशियों की बौछार
हमें है उस सुबह का इंतजार
जब सब देश एक होंगे 
और बनेगा प्यारा संसार|
सब धर्मं एक हो जायेंगे
सब ईश्वर एक कहलायेंगे
न होगा आतंकवाद
न होगा कोई भेदभाव
न होगी कोई बुराई
हर तरफ होगी बस 
अच्छाई और सच्चाई|
कब आएगी वह नई सुबह
जब सब देश एक होंगे
और बनेगा प्यारा संसार|
हमें है उस नई सुबह का इंतजार| 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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  2. आशावादी रचना,हम सबको एसी ही सुबह का इंतज़ार है.
    --mansoorali हाश्मी
    http://aatm-manthan.com

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  3. बहुत सुन्दर और आशावादी रचना| धन्यवाद|

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  4. मज़हब होता ही बाँटने के लिए है। मानव एका सार्वभौमिक मानवीयता से ही सम्भव है। इसके लिए धर्म या ईश्वर आवश्यक नहीं हैं।

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  5. बेनामी9:40 am

    काश के ऐसा हो जाये.........अच्छा लिखा है आपने........शुभकामनाये|

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  6. बेनामी11:15 am

    सच्ची और नेक कामना

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  7. शानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।

    -लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
    E-mail : dplmeena@gmail.com
    E-mail : plseeim4u@gmail.com

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