निखर निखर है निखरता, बेहद इसका दाम।
हीरा यूं ही ना बना, करता है अभिमान।।
सागर जितना गहन है, सरल ना अनुमान।
मनुज की छिपी क्षमता, रत्नों की ज्यों खान।।
आंगन के बीच चमकें, रोशन हो घर द्वार।
दीप फैलाय रोशनी, सबको दे उपहार।।
इस छोटी सी दुनिया में आपको मिलेंगी मेरी रचनाएं और कुछ अपनों के दिल से निकली बातें, यादें जिन्हें संजो कर रखना अच्छा लगता है.....
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