2/17/2016

दोहे 3

निखर निखर है निखरता, बेहद इसका दाम।
हीरा यूं ही ना बना, करता है अभिमान।।

सागर जितना गहन है, सरल ना अनुमान।
मनुज की छिपी क्षमता, रत्नों की ज्यों खान।।

आंगन के बीच चमकें, रोशन हो घर द्वार।
दीप फैलाय रोशनी, सबको दे उपहार।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें