4/12/2011

सम्पूर्ण सृष्टि करें नमन

सम्पूर्ण सृष्टि करें नमन 
कितना स्नेहिल तेरा मन 
तुने दिया है यह जीवन
तुझको करती हूँ अर्पण |

नन्ही सी किलकारी से 
तु कितनी खुश हो जाती थी
ऐ माँ तेरी हर लोरी 
मन में मिठास दे जाती थी |

नन्हे नन्हे क़दमों को 
जब तु चलना सिखलाती थी 
ऐ माँ तेरे क़दमों से 
मैं अपने कदम बढाती थी |

तेरे हाथों से खाया जो 
प्यार भरा हर एक कौर 
पेट भर भी जाये तो 
जी कहता है माँ और और  |

तेरी ममता की मुस्कान 
मेरे दिल को छु जाती है 
ऐ माँ तेरी हर एक सीख 
अमिट छाप दे जाती है |

घनी धुप में छाँव वृक्ष की 
सुख का आभास कराती है 
ऐ माँ तेरी ममता भी 
कुछ ऐसा अहसास कराती है |

सम्पूर्ण सृष्टि करें नमन 
कितना स्नेहिल तेरा मन 
तुने दिया है यह जीवन
तुझको करती हूँ अर्पण |



11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बढ़िया लिखा है नेहा जी आपने.

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  2. बहुत सुंदर ... कितनी प्यारी कविता रची है....

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  3. Mother is always great .you have written excellent poem .best of luck .

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  4. माँ को समर्पित बहुत प्यारी कविता लिखी है आपने, नेहा जी .

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  5. नेहा जी आप सुंदर लिखती हैं बधाई और शुभकामनाएं |

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  6. बेनामी9:51 am

    मनमोहक ब्लॉग और बहुत प्यारी रचना - हार्दिक बधाई

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  7. माँ की ममता को
    ढेरों ढेरों शब्दों में भी
    बयान नहीं किया जा सकता
    आपकी कविता द्वारा किया गया प्रयास
    निश्चित रूप से सराहनीय है ...

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