1/20/2015

जीवन जी तो लें

नम आँखें है
दिल यादों में अब यूँ खो रहा है 
कहीं बादल बरस 
खुद में ही जो गुम हो रहा है 

गम से जो निकल 
खुशियों के आँसु रो रहा है 
नए सपने जमीं पर 
जैसे कोई बो रहा है 

उड़ने को 
तैयार पर होने लगे है 
अपनी हर हिचक को 
जैसे अब खोने लगे है 

सपनो का महल 
जमीं पर बनने लगा है 
जीवन जी तो ले 
अब मन यही करने लगा है 

आओ बढ़ चलें 
गिर भी पड़े तो डर नहीं है 
फिर से थाम ले आ कर 
वो ईश्वर भी यहीं है। 


                                                                                                          

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