दिल यादों में अब यूँ खो रहा है
कहीं बादल बरस
खुद में ही जो गुम हो रहा है
गम से जो निकल
खुशियों के आँसु रो रहा है
नए सपने जमीं पर
जैसे कोई बो रहा है
उड़ने को
तैयार पर होने लगे है
अपनी हर हिचक को
जैसे अब खोने लगे है
सपनो का महल
जमीं पर बनने लगा है
जीवन जी तो ले
अब मन यही करने लगा है
आओ बढ़ चलें
गिर भी पड़े तो डर नहीं है
फिर से थाम ले आ कर
वो ईश्वर भी यहीं है।
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