11/16/2010

सी.बी.मैथ्यूस 'आगा' की शायरी -1

यह शायरी मेरे दादाजी स्व.सी.बी.मैथ्यूस 'आगा' द्वारा लिखित है | उनका जन्म सन १९१९ में हुआ था तथा उनकी मृत्यु २००९ में हुई| उन्होंने अपने जीवन में कई उम्दा शायरी लिखी|अपने जीवन के अंतिम वर्षो में वह अपनी कुछ शायरी हमें लिखवाया करते थे  उनमे से कुछ ही आज मेरे पास मौजूद है| जो में आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ 


शबाब आता है चला जाता है 
फूल खिलखिलाके हँसता है बिखर जाता है 
ख्वाबे गफलत में कुछ पता नही चलता 
चिराग जलते जलते गुल हो जाता है |  


3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर गज़ल.

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  2. बहुत गहरी सोच छिपी है आपके दादा जी की शायरी में. उनके तमाम अश’आर न केवल आसान लफ्जों में हैं बल्कि तखलीक भी बेमिसाल है. पढकर मन कह उठता है लाजवाब...आफरीन! अश्विनी रॉय

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  3. खूबसूरत अशआर.बेहतर लफ्ज़ बेहतर तरतीब .

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