6/30/2019

काश ये कविता मैंने लिखी होती ...


शरीर तो बंधन है 
कविता तो आत्मा से आती है 
अमर हो जाती है 
ह्रदय से पन्नों तक 
सदियों तक उन्मुक्त 
एक से दूजे तक 
कानों से जुबां तक 
फिर कभी किसी जन्म में 
सुनते है , सोचते है 
काश ये कविता 
 मैंने लिखी होती ...
- नेहा मैथ्यूस 

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