8/18/2012

आज

किस्मत से झगडना छोड दिया मैंने 
और हवाई किलों को तोड दिया मैंने 
समय से उसके पंख उपहार माँग कर 
अपने परों में जोड लिया मैंने 
अब मैं कुछ जिंदादिल दिख रही हूँ 
सिर्फ अपने आज को लिख रही हूँ । 


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