(1)
कल के भरोसे -
वक्त हाथ से
फिसलता रहा ,
टलता रहा,
खलता रहा,
और यह सब यूँही
चलता रहा।
(2)
सोचता हूँ घडी
बदल डालूं ,
कुछ है
जो रोकता है,
उसकी धुल हटा लूँ
फिर देखू वक्त क्या है।
(3)
दिन मुश्किल है मगर
शाम आज भी होगी,
मुश्किलों पे जीत पाकर
हैरान वो आज भी होगी।
(4)
वह तब भी टिक टिक करती थी,
वह अब भी टिक टिक करती है,
अब उसकी यह टिक टिक
जाने क्यूँ अच्छी लगती है,
शायद मेरे सोचने का
नजरिया बदल गया,
समय तुम्हारी ताकत
मैं भी संभल गया।
दिन मुश्किल है मगर
जवाब देंहटाएंशाम आज भी होगी,
मुश्किलों पे जीत पाकर
हैरान वो आज भी होगी।
Bahut Sunder
बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंसादर
Beautiful!! :)
जवाब देंहटाएंनेहा जी बहुत सुन्दर ..क्षणिकाएं ...समय को समझ लेने से हर बात बनती जाती है
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
ati sunder neha G
जवाब देंहटाएंneha aapki lekhan chamta bahut hi la lajabab hai.....1 hamri or c aapko salam...!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना हमारे वेबसाइट हिंदी कहानी पर पधारें
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