इस छोटी सी दुनिया में आपको मिलेंगी मेरी रचनाएं और कुछ अपनों के दिल से निकली बातें, यादें जिन्हें संजो कर रखना अच्छा लगता है.....
1/16/2011
ईश्वर के दूत है अच्छे रचनाकार
हर रचना को लिखे जाने का अपना एक महत्वपूर्ण कारण होता है , चाहे वह रचना कितनी ही साधारण से साधारण क्यूँ न हो |भगवान ने कुछ शब्दों को हम पर उतारा है तो जरूर इसके पीछे कुछ ना कुछ उद्देश्य छिपा है |हो सकता है दूर कहीं किसी अन्जान को आपकी कोई रचना प्रभावित करती है और उसके जीवन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव लाती है | ईश्वर ने आपको जरिया बनाकर जो शब्द लिखाये है हो सकता है उसमे आपके लिए या किसी ओर के लिए ईश्वर का सन्देश छिपा हो |इस तरह अच्छे रचनाकार ईश्वर का दूत बनते है | हमारे बड़े बुजुर्ग कहते है की ईश्वर अपनी बात किसी ना किसी तरह कह ही देते है,उसे समझना हमारा काम है| ईश्वर हमसे इस तरह बात करते है|मुझे इस बात का पूरा विश्वाश है | आप में से कई लोगो ने इस बात को महसूस किया होगा |क्या आप इस पर विश्वाश करते है |
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लेबल
अभिव्यक्ति
अल्पना
आपका नाम
आर्ट क्लास
आर्ट विडियो
ईश्वर
कभी-कभी
कम्प्यूटर टिप्स
कम्प्यूटर पेंटिंग
कला
कलाकृतियों की तस्वीरें
कविता
कार्टून
कार्टूनिस्ट नेहा
कॉमिक्स
चित्र
टीवी की बातें
ट्यूटोरियल / टिप्स एंड ट्रिक्स
दादाजी की शायरी
दोहे
नव हस्ताक्षर की खास पोस्ट
नोटबुक
प्रकाशित रचनाएँ
बाल कविताए
बोलती तस्वीरें
ब्रुनो
माँ
मेरी मम्मी की डायरी से...
यादों का मेला
रेखाचित्र
लघुकथा
लवलीना
लेख
विविध
विशु कॉमिक्स
संस्मरण
सकारात्मकता
सिक्कों की दुनिया
हाइकु
All
coin collection
Computer tips विंडो एक्स पी
Delhi
favourite
good
Images
india
Jaipur
Landscape
Mount abu
nature photographs
Neha Mathews
place
Rajasthan
sanskriti
Veena Mathews
video tutorial
Written by Neha Mathews
"हमारे बड़े बुजुर्ग कहते है की ईश्वर अपनी बात किसी ना किसी तरह कह ही देते है, उसे समझना हमारा काम है| ईश्वर हमसे इस तरह बात करते है|मुझे इस बात का पूरा विश्वाश है"
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल सही - ब्लॉग भी बहुत सुंदर लगा.
विश्वाश ही अध्यात्म का मूल है.सिर्फ रचनाकार ही नहीं कोई भी इंसान, जानवर ,पेड़ पौदे या कोई भी चीज़ ईश्वर का दूत बन सकती है.सिर्फ विश्वाश होना चाहिए. कई बार दुसरे के मुख से निकले शब्द या आपकी अंतर आत्मा की आवाज़ ही आप के लिए ईश्वर का सन्देश होती है. उस बात को पकड़ने के लिए दो शर्तें जरूरी हैं एक तो आपका विवेक जागृत होना चाहिए दूसरा उस मालिक की कृपा दृष्टि हो........आप ने बहुत ही अच्छा विषय चुना है.आप को शुभ कामनाएं .
जवाब देंहटाएंबिलकुल मैं इस बात पर विश्वास करता हूँ.और मैंने महसूस भी किया है.अभी मैं इस काबिल तो नहीं कि किसी को प्रभावित कर सकूँ हाँ औरों से प्रभावित ज़रूर हुआ हूँ.
जवाब देंहटाएंसादर
---
मैं नेता हूँ
इसमें संदेह नहीं कि हम प्रतिभा को चाहे जितना अर्जित मानें,किंतु ईश्वरीय कृपा के बगैर वह संभव नहीं।
जवाब देंहटाएंI believe in God.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही मैं इस बात पर विश्वास करता हूँ|बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंनेहा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
हर रचना को लिखे जाने का अपना एक कारण अवश्य हो सकता है , लेकिन वह हमेशा महत्वपूर्ण हो यह ज़रूरी नहीं ।
पत्र-पत्रिकाओं तथा ब्लॉग्स पर भी दृष्टिपात करें तो , बहुत सारी ऐसी रचनाएं दिख जाती हैं , जिन्हें न लिखा गया होता तो अधिक मानवसेवा और उपकार माना जाता ।
कण कण में भगवान की अवधारणा से ही सहमत रहे हैं हम तो हमेशा ही ।
अच्छा ब्लॉग है आपका … बहुत सुंदर !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हमे तो भरोसा ही केवल भगवान पर है बाकी दुनिया तो व्यवहारिक कामो के लिये है।
जवाब देंहटाएंईश्वरीय कृपा के बगैर कुछ भी कहाँ संभव ?
जवाब देंहटाएंसुन्दर ब्लॉग
आकर अच्छा लगा
आभार
हमारे आस-पास जो भी है . ईश्वर की कृपा है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर ब्लॉग.
आप को शुभ कामनाएं
बिलकुल सही कहा है आपने ! हर इंसान के भीतर एक इश्वर है ! और इश्वर की मर्जी के बिना संसार में कुछ भी नहीं होता !
जवाब देंहटाएंदेरी से कमेंट्स करने के लिए माफ़ी चाहूँगा !
आभार !
ek hi shabd kahungaa.......vaah......!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...लाजवाब।
जवाब देंहटाएं*गद्य-सर्जना*:-“तुम्हारे वो गीत याद है मुझे”
good
जवाब देंहटाएंप्रिय नेहा जी
जवाब देंहटाएंसस्नेह अभिवादन !
अब कुछ नया भी लिखिए … :)
चार दिन विलंब से ही सही , स्वीकार कीजिए
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
दीदी, मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी के लिए शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएं_______________________________
सुनामी
jab bade bujurg kahte hain to manana parega..:)
जवाब देंहटाएंठीक कहा आपने।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंक्या फागुन की फगुनाई है।
जवाब देंहटाएंडाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
=============================
होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
बहुत ही अच्छे शब्द और विचार।
जवाब देंहटाएं