1
भारत माँ के सब बच्चे,यूँ लगते है संग
साथ मिलकर ज्यों सजते,रंगोली के रंग।
2
अपनी छोड़ी राह पे,पथिक को था गुमान
पिछे मुड़कर देख रहा,ना चाहे सामान।
पिछे मुड़कर देख रहा,ना चाहे सामान।
3
खुद को गर है जानना,साधो थोड़ा मौन
अंतर की आवाज से,जानो तुम हो कौन।
दोहा २
जवाब देंहटाएंभावार्थ - अपने जीवनभर संसार की जिस राह पर चल कर पथिक ने इतना कुछ हासिल किया जो सुख सुविधाएँ जुटाई उस राह पर पथिक को अब तक बहुत गुमान था लेकिन अब वो उस मार्ग को छोड़ आध्यात्मिक पथ पर चल पड़ा है,और जब वह पीछे मुड़कर देखता है तो वे सुख सुविधाएँ उसे बहुत छोटी जान पड़ती है,उनका कोई मूल्य नहीं रह गया।